Hamara Beej

Saturday, December 12, 2009

बीटी बैगन की खेती को अनुमति नहीं मिलने की संभावना


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5998063_1.html

पटना,  बीटी बैगन के उत्पादन की बिहार में अनुमति नहीं मिलने की संभावना है। बीज उत्पादक कम्पनी महिको के दावे पर किसान आयोग ने संदेह व्यक्त किया है। आयोग के स्तर पर बुलायी गयी बैठक में कहा गया है कि बैगन की वर्तमान किस्म ही स्वास्थ्य व स्वाद, दोनों दृष्टिकोण से उपयोगी है। इसका उत्पादन भी पहले से ही काफी अधिक हो रहा है। गौरतलब है कि कृषि सम्बन्धित निर्णय से पूर्व, सरकार किसान आयोग का सुझाव प्राप्त करती है।
कृषि विभाग के प्रधान सचिव केसी साहा ने कहा कि मामला केन्द्र का है। राज्य सरकार इस पर विचार कर रही है। सम्प्रति कोई निर्णय नहीं हुआ है। वैज्ञानिकों के अनुसार, बीटी बैगन के बीज की कीमत 50 हजार रुपये प्रति किलो होने के कारण यह किसानों के लिए काफी महंगा भी पड़ता है। बीटी बैगन के मुद्दे पर कृषि आयोग द्वारा आयोजित बैठक में कृषि विभाग के अधिकारियों, वैज्ञानिकों व स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किए। इसमें विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार को बीटी बैगन बीज के उपयोग की अनुमति नहीं देनी चाहिए। इसका उपयोग दस वर्षो के बाद ही होना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार बीटी बैगन की आड़ में कई फसलों के आनुवांशिक रूप से संवर्धित (जेनेटिकली माडिफाइड-जीएम) बीज बाजार में लाने की साजिश है। विश्व के मात्र 6 देशों में ही जीएम तकनीक को 99 प्रतिशत तक अपनाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में विरोध के बावजूद चोरी छिपे बीटी बैगन की खेती हो रही है। इसको व्यावसायिक मंजूरी नहीं मिली है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जीएम फसलों की संरचना सामान्य पौधों की कोशिकाओं में अलग किस्म का जीन जीवाणु, कीटाणु, मकड़ी, सूअर व कछुआ आदि से लिया जाता है। इसके कारण स्वास्थ्यव पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जीवित पौधा होने के कारण इसका पूरी तरह से नाश संभव नहीं है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसका पेटेंट बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का होगा जिससे छोटे-छोटे किसानों को इन कम्पनियों पर निर्भर करना पड़ेगा। विकसित अनुवांशिक रूप से वर्धित महिको के बीटी बैगन का विकास हुए नौ साल हो गए हैं। महिको का दावा है कि इस बैगन में कीड़ों को समाप्त करने की क्षमता जीन क्राई 1 एसी है। कीड़ा लगने से 50 से 70 प्रतिशत बैगन की फसल बर्बाद हो जाती है। बीटी हाईब्रिड के प्रयोग से बैगन उत्पादन में 166 प्रतिशत की वृद्धि होगी। कम्पनी के अनुसार जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमिटी ने इसको पर्यावरण के लिए सुरक्षित माना है।

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