Hamara Beej

Wednesday, October 7, 2009

हमारा बीज बिहार नेटवर्क



दिनांक ५ एवं ६ अक्टूबर २००९ को स्थानीय ए एन सिन्हा इंस्टिट्यूट  में हमारा बीज पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन तारा फाउंडेशन के तत्वाधान में स्विश एड इंडिया के सहयोग से आयोजित हुआ. कार्यशाला की मुख्य वक्ता कविता कुरुगंती (कृषि विरासत मिशन पंजाब) ने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा की अनुवांशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थों से भारत को मुक्त करने का यह एक अभियान है. अनुवांशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थ बनाने के लिए असंबंधित जीव जैसे जीवाणु, विषाणु तथा अन्य जानवरों के जींस यानि अनुवांशिक गुणों को हमारे खाद्य पौधों जैसे बैंगन, चावल, टमाटर, भिन्डी, गोभी, आलू आदि की कोशिका में कृत्रिम रूप से प्रत्यारोपित  कर दिया जाता है. अनुवांशिक अभियांत्रिकी का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अधूरी व अपरिवर्तनीय है और यह प्रमाणित है की ये हमारे महत्वपूर्ण अंगों जैसे गुर्दे, लीवर  और दिमाग, जीवन की रोग प्रतिरोधक क्षमता और प्रजनन क्षमता  पर हीं नहीं बल्कि पर्यावरण पर भी बुरा असर डालते हैं. शोध बतातें हैं की ये खाद्य पदार्थ आने वाली पीढी पर भी बुरा असर डाळ  सकते हैं.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए तारा फाउंडेशन के सचिव पंकज भूषण ने कहा की यह प्रक्रिया भारत की धरती पर अब अनजान नहीं रही क्योंकि यह हमारे देश में जड़ जमा चुकी है. अब तक बी टी कपास को उगाने  व प्रचारित करने की खबर इतनी फ़ैल चुकी है की किसान इस नई फसल को अपनाने के लिए मजबूर हो गए हैं. भारत में पहली जैव संशोधित फसल मुनाफाखोर संस्थाओं द्वारा बी टी बैंगन के रूप में प्रचारित की गई है. बी टी बैंगन बनाने के लिए बैंगन के जीनोम में बैक्टेरिया के जीन प्रत्यारोपित कर पौधे के अन्दर हीं ऐसा ज़हर पैदा किया जाता है जो फसल नष्ट  करने वाले कीडो को मार देता है. ऐसे विषैले बीजों के निर्माता ये दावा करते हैं की किसान इन बीजों के उपयोग से रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल कम कर सकेंगे. ध्यान दीजिये बी टी बैंगन हीं  अकेला संशोधित फसल नहीं है. भारत में चावल, आलू, टमाटर, पत्तागोभी, गोभी, भिन्डी आदि को मिला कर कुल ५६ प्रकार के पौधों को अनुवांशिक रूप से संशोधित किया जा रहा है.
कार्यशाला में हम लोग ट्रस्ट, महिला विकास सेवा संस्थान नालंदा, निखिल रुरल देवेलोप्मेंट सोसाइटी पटना, हनुमान प्रसाद ग्रामीण विकास सेवा संस्थान, सर्व सहयोग संघ बरबीघा, दिशा विकास केंद्र, अभिनन्दन, ऐड इंडिया बिहार, चाइल्ड केयर पटना, आकांक्षा   सेवा सदन, ग्लोबल देवेलोप्मेंट आरगेनाइजेशन के गणमान्य पदाधिकारी  शामिल हुए.
कविता जी ने उपस्थित व्यक्तियों को जी एम् के दुष्प्रभाव से अवगत कराया एवं इस से सम्बंधित कई फिल्मो को  दिखाया.         
यदि जैव संशोधित फसल को इस देश में अनुमति मिल गई तो ये आपके और मेरे - हमारे लिए विकल्पों का अंत होगा.
अगर आप इस पर भरोसा करते हैं तो हमारा साथ दीजिये;
* दावा कीजिये की भर्त्ये किसी प्रयोशाला के चूहें नहीं हैं; खाद्य पदार्थों के चुनाव व सुरक्चित भोजन के अधिकार को हासिल कीजिये.
* गर्व से कहिए- मैं किसी प्रयोगशाला का चूहा नहीं हूँ.
* भारत के प्रधानमंत्री को एक ऑनलाइन पेटिशन इस पर भेजें: www iamnolabrat .com

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